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Marriage Registration: शादी का रजिस्ट्रेशन क्यों है जरूरी? जानें मैरिज सर्टिफिकेट बनाने की प्रक्रिया और कानूनी फायदे

शादी का रजिस्ट्रेशन सिर्फ कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि आपके अधिकारों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। मैरिज सर्टिफिकेट से न सिर्फ सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, बल्कि पासपोर्ट, वीज़ा और प्रॉपर्टी से जुड़े काम भी आसान हो जाते हैं। जानें इसकी स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया और शादी रजिस्ट्रेशन से मिलने वाले बड़े फायदे।

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Marriage Registration: शादी का रजिस्ट्रेशन क्यों है जरूरी? जानें मैरिज सर्टिफिकेट बनाने की प्रक्रिया और कानूनी फायदे

भारत में पारंपरिक तरीके से शादी के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन (Marriage Registration) करवाना भी जरुरी होता है अक्सर लोगों को लगता है की परंपरगत तरीके से की गई शादी में रजिस्ट्रेशन की आवश्यता नहीं होती यह केवल विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत ही विवान का पंजीकरण आवश्यक होता है। लेकिन ऐसा नहीं है हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act, 1955) के तहत हुए सभी सभी शादियों का पंजीकरण करना जरुरी माना जाता है।

शादी का रजिस्ट्रेशन है जरूरी?

भारत में हर साल लाखों की संख्या में शादियां होती है, ऐसे में शादियों की कानूनी मानयता के लिए Marriage Certificate एक जरुरी दस्तावेज माना जाता है। मैरिज रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता सुर्प्रीम कोर्ट द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए शुरू की गई थी, हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वर की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और वधु की आयु 18 वर्ष तय की गई है। ऐसे में बिना मैरिज सर्टिफिकेट के किसी भी सरकारी कार्यों जैसे बीमा लाभ, पारिवारिक पेंशन, अंतराष्ट्रीय स्तर पर वैवाहिक स्थिति प्रमाणित करने आदि में दंपत्ति को कानूनी और पशासनिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

Marriage Registration के लिए जरुरी दस्तावेज

शादी पंजीकरण के लिए दंपत्ति को कुछ जरुरी दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, इनमें प्रमुख दस्तावेज जैसे आवेदन फॉर्म, आयु और निवास प्रमाण पत्र, विवाह का निमंत्रण प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो और 10 रूपये का स्टांप पेपर पर पति-पत्नी का अलग-अलग शपथ पत्र होना चाहिए। इनके अलावा आवेदक के पास तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाक आदेश, पूर्व जीवनसाथी के मृत्यु होने पर मृत्यु का प्रमाण पत्र, नाम बदलने की स्थिति में रातपत्र की प्रति और अगर कोई विदेशी नागरिक है तो वैवाहिक स्थिति का प्रमाण पत्र होने आवश्यक है। वहीं शादी में गवाहों के दस्तावेज में उनका निवास प्रमाण पत्र और पैनकार्ड होना चाहिए।

मैरिज रजिस्ट्रेशन के फायदे

विवाह प्रमाण पत्र के जरिए दंपत्ति को आधिकारिक तौर पर पहचान मिलती है। किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने, जॉइंट अकाउंट खुलवाने या किसी बीमा योजान का लाभ लेने जैसे सभी कार्यों में मैरिज रजिस्ट्रेशन काम आता है। यदि किसी दंपति के पास मैरिज रजिस्ट्रेशन नहीं है तो उनके कार्य अटक सकते हैं।

मैरिज रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया

विवाह पंजीकरण के लिए आवेदक ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों ही माध्यम से प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं। ऑनलाइन पंजीकरण के लिए उन्हें अपने राज्य की विवाह पंजीकरण की वेबसाइट या सीएससी सेंटर पर जाकर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूरा करना होगा, वहीँ ऑफलाइन पंजीकरण के लिए दंपत्ति को अपने क्षेत्र के सब-डिविजनल मैजिस्ट्रेट के कार्यालय जाकर फॉर्म प्राप्त करना होगा। फॉर्म भरकर और दस्तावेज जमा करने के बाद इनका सत्यापन किया जाएगा और अपॉइंटमेंट की तारीख दी जाएगी।

यदि विवाह विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत हुआ है तो प्रक्रिया में लगभग 60 दिन लग सकते हैं, वहीं हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पंजीकरण की तिथि 15 दिन में मिल जाएगी। वहीं अपॉइंटमेंट के दिन दंपत्ति को उनके गवाहों के साथ उपस्थित रहना होगा।

Author
Rohit

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