
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लिया है जिसके बाद देश के लाखों शिक्षकों में गुस्सा दिखाई दे रहा है। जानकारी के लिए बता दें जितने भी शिक्षक कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को पढ़ाते हैं उन्हें अब शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को पास करना जरुरी होगा। जिन शिक्षकों की सेवा में पांच साल बचे हैं अथवा कम साल हैं वे इस फैसले से प्रभावित होने वाले हैं। इस फैसले का देशभर में खूब विरोध हो रहा है वही उत्तर प्रदेश सरकार ने इस फैसले को रिजीवन बेंच में चुनौती देने का निर्णय लिया है। तो चलिए इस बात पर अभिभावकों का क्या रिएक्शन है।
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक की गुणवत्ता सुधारने और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत नए शिक्षकों का चयन तभी हो पाएगा जब उन्होंने TET परीक्षा पास की हो। वही जितने भी पुराने शिक्षक हैं और उनकी नौकरी को पांच साल से अधिक बची है तो इन्हे दो साल के भीतर टीईटी को पास करना है। अगर वे इस परीक्षा को पास नहीं कर पाएंगे तो उनकी नौकरी खतरे में है।
इसके अलावा जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पांच साल से कम है उन्हें TET पास करने की जरूरत नहीं है लेकिन वे परमोशन का लाभ नहीं ले पाएंगे। अल्पसंख्य स्कूलों में यह आदेश लागू होना चाहिए इसके फैसले के लिए कोर्ट ने यह मामला सात जजों की बड़ी बेंच में भेज दिया है। कि अंतिम फैसला क्या होगा।
फैसले से लाखों शिक्षक हुए प्रभावित
उत्तर प्रदेश राज्य के 16 लाख शिक्षकों पर इस फैसले का असर पड़ेगा तो वही पूरे देश में 50 लाख शिक्षक प्रभावित होंगे। बता दें मध्य प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु के लाखों शिक्षाओं को यह परीक्षा पास करनी होगी तभी जाकर वे अपनी नौकरी को बचा सकते हैं।
शिक्षकों ने दिखाई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षक संगठन चुप नहीं बैठने वाले हैं वे जमकर अपना आक्रोश दिखा रहें हैं। शिक्षकों का कहना है कि यह फैसला निंदापूर्ण है, हम 15-20 सालों से बच्चों को पढ़ा रहें हैं और अब हमारे अनुभव पर संकोच किया जा रहा है। वही मेरठ के सीएबी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य विनोद कौशिक ने कहा, “अब शिक्षकों को खुद परीक्षा की तैयारी करनी है कि वे बच्चों को पढ़ाएं”, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई सरकारों ने अपनी मनमानी से भर्तियां कराई है।
शिक्षकों का कहना है कि इस आदेश के बाद उनका मेंटल स्ट्रेस बढ़ गया है और इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर होगा। माध्यमिक शिक्षक संघ और प्राथमिक शिक्षक संघ इस फैसले का कड़ा विरोध करने की मांग कर रहें हैं।
अभिभावकों की क्या है राय?
जब से सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है शिक्षक इसका जमकर विरोध कर रहें हैं। शिक्षकों ने इस फैसले पर गुस्सा और नाराजगी दिखाई है तो वही कई अभिभावकों ने कोर्ट के इस फैसले की तारीफ की है, उनका कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधरने और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए यह फैसला सही है। जब डॉक्टर, इंजीनियर और वकील जैसी फील्ड में जाने के लिए उम्मीदवारों को अपनी योग्यता साबित करनी पड़ती है तो शिक्षक भी इसमें पीछे क्यों रहने चाहिए।
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वकीलों ने दी सलाह
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता इलिन सारस्वत का कहना है कि कोर्ट का यह फैसला शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून 2009 से पहले जितने भी शिक्षक नियुक्त हैं उनके लिए है। इन सभी शिक्षकों को TET परीक्षा पास करनी होगी इसके बाद ही ये अपनी नौकरी को बचा और प्रमोशन पा सकते हैं।