
भारतीय निवेशकों के बीच फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) हमेशा से एक भरोसेमंद और सुरक्षित विकल्प माना जाता है। जब शेयर बाजार की अस्थिरता या अन्य निवेश साधनों में रिस्क की बात आती है, तो ज्यादातर लोग FD को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि यहां गारंटीड रिटर्न मिलता है। अब RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) के नियमों को लेकर एक अहम जानकारी सामने आई है, जो निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।
क्या है FD निवेश की सीमा?
अक्सर लोगों के मन में सवाल रहता है कि बैंक FD में आखिर कितनी रकम जमा की जा सकती है। इसका जवाब साफ है RBI ने FD में निवेश की कोई अधिकतम सीमा तय नहीं की है। यानी आपके पास चाहे लाखों हों या करोड़ों, आप उतनी बड़ी रकम FD में जमा कर सकते हैं।
5 लाख रुपये तक की गारंटी
हालांकि यहां एक महत्वपूर्ण नियम समझना जरूरी है। बैंक में जमा आपकी राशि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के अंतर्गत 5 लाख रुपये तक सुरक्षित मानी जाती है। इसका मतलब, अगर बैंक दिवालिया हो जाए या डिफॉल्ट कर जाए, तब भी ग्राहक को 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर मिलेगा।
FD की न्यूनतम और अवधि सीमा
- FD में न्यूनतम निवेश राशि बैंक के नियमों के आधार पर ₹1,000 से ₹10,000 तक हो सकती है।
- निवेश की अवधि 7 दिन से लेकर अधिकतम 10 साल तक चुनी जा सकती है।
- FD को मैच्योरिटी से पहले तोड़ने पर बैंक पेनल्टी वसूलते हैं और ब्याज दर भी कम हो जाती है।
सीनियर सिटीजन को खास फायदा
बुजुर्ग निवेशकों के लिए FD और भी फायदेमंद है। उन्हें सामान्य ग्राहकों की तुलना में अतिरिक्त ब्याज मिलता है। यही वजह है कि रिटायरमेंट के बाद भी लोग FD को अपनी पहली पसंद मानते हैं।
TDS नियमों को समझें
एफडी से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स भी लगता है। अगर आपको एक साल में ₹40,000 से ज्यादा ब्याज (सीनियर सिटीजन के लिए ₹50,000) मिलता है, तो बैंक उस पर TDS काट लेते हैं।
क्यों करें FD में निवेश?
- सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न
- बाजार की अस्थिरता का असर नहीं
- अलग-अलग टेन्योर का चुनाव करने की सुविधा
- सीनियर सिटीजन को ज्यादा ब्याज का बोनस
स्पष्ट है कि FD सिर्फ छोटे निवेश के लिए ही नहीं, बल्कि बड़े अमाउंट के लिए भी एक सुरक्षित इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है। हालांकि 5 लाख रुपये तक ही बीमा कवर मिलने की सीमा को ध्यान में रखते हुए निवेशकों को अपनी रकम अलग-अलग बैंकों या स्कीमों में बांटकर लगानी चाहिए।

















