
Primary Teacher Eligibility New Rule 2025: हाल ही सुप्रीम ने शिक्षा से सम्बंधित एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है जिसके तहत प्राइमरी टीचर बनने के निमाओं में बड़ा बदलाव किया गया है। कोर्ट का कहना है कि अब कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षाओं के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को अनिवार्य कर दिया गया है। इस फैसले का उद्देश्य शिक्षा स्तर में सुधार करना है।
नए नियम के तहत बच्चों को प्रशिक्षित शिक्षक ही पढाई कराएंगे। इसके साथ ही जिन टीचरों ने यह परीक्षा अभी तक पास नहीं की है उन्हें दो साल का मिलेगा, अगर वे इस दौरान पास नहीं करेंगे तो उनकी नौकरी जा सकती है। जिन शिक्षाओं की नियुक्ति शिक्षा लागू होने से पहले ही हो गई थी उन पर भी यह नियम लागू होता है।
लाखों शिक्षक होंगे प्रभावित
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद देश के लाखों शिक्षक नए नियमों से प्रभावित होने वाले हैं। सर्वे में पता लगा है कि अभी उत्तर प्रदेश से करीब 2 लाख, मध्य प्रदेश से 3 लाख और तमिलनाडु से 3 लाख शिक्षाओं ने TET परीक्षा को पास नहीं किया है। ये आँकड़े सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों के बताए गए हैं।
इन नियमों का पालन निजी स्कूल के शिक्षकों की भी करना होगा। यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करेगा और बच्चों का बेहतर भविष्य बन सकेगा।
TET पास करने के लिए नियम और सीमा
TET पास करने के लिए शिक्षाओं को कोर्ट द्वारा दो साल का टाइम दिया गया है। जिन भी शिक्षकों की रिटायरमेंट होने में पांच वर्ष का समय बचा है लेकिन उन्हें यह परीक्षा नहीं पास की है तो उन्हें इस परीक्षा को पास करना है, अगर वे असफल होते हैं तो उनकी नौकरी चली जाएगी लेकिन रिटायरमेंट के लाभ जरूर मिलेंगे।
वही जिन शिक्षाओं की सेवा में पांच साल से कम का समय बचा हो तो उनके लिए इस परीक्षा को पास करना अनिवार्य नहीं किया गया है। लेकिन अगर वे प्रमोशन चाहते हैं तो उन्हें नहीं मिलेगा। इसके लिए उन्हें TET परीक्षा में उत्तीर्ण होना होगा।
अल्पसंख्यक संस्थानों के लिए नियम
सरकारी और सहायता स्कूल के अलावा अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के लिए यह नियम लागू नहीं किए जाएंगे। इन संस्थानों के शिक्षकों को टीईटी परीक्षा पास नहीं करनी होगी। इस मामले का लास्ट फैसला लिया जाए इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इसे बड़ी बेंच के पास भेजा है।
शिक्षा को बेहतर बनाने का लक्ष्य
कोर्ट द्वारा TET परीक्षा पास करने के लिए दो साल का समय दिया गया है इस समय के भीतर जो शिक्षक परीक्षा में सफल हो जाते हैं उन्हें नौकरी से नहीं हटाया जाएगा। भारतीय शिक्षा प्रणाली में यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है जिससे शिक्षा स्तर को बेहतर बनाया जा सकेगा।