भारत में बैंकिंग व्यवस्था लगातार मजबूत होती जा रही है, लेकिन कई बार कुछ बैंकों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सख्त कदम उठाने पड़ते हैं। हाल ही में ऐसा ही एक बड़ा फैसला लिया गया है, जिसमें एक सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है और बैंक को बंद कर दिया गया है।

कौन सा बैंक हुआ बंद?
भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्नाटक के करवार अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। अब यह बैंक किसी भी तरह का बैंकिंग कारोबार नहीं कर सकेगा। इस संबंध में आरबीआई ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि बैंक के पास न तो पर्याप्त पूंजी बची है और न ही भविष्य में उससे आय की कोई संभावना दिखाई दे रही थी।
लाइसेंस रद्द होने की वजह
आरबीआई ने साफ किया कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 की धारा 56 और 5(B) के तहत यह कदम उठाया गया है।
- बैंक अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरा करने में सक्षम नहीं था।
- जमाकर्ताओं की राशि सुरक्षित रखने की स्थिति बैंक में नहीं बची थी।
- बैंक ने धारा 11(1) और धारा 22(3)(D) जैसे प्रावधानों का भी पालन नहीं किया।
इन कारणों के चलते बैंक को चालू रखना ग्राहकों के हित में नहीं माना गया और कठोर कदम उठाना पड़ा।
खाताधारकों को मिलेगी कितनी सुरक्षा?
हालांकि बैंक बंद होने की खबर से खाताधारकों में चिंता बढ़ गई है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि खाताधारकों की जमा राशि इंश्योर्ड है।
- प्रत्येक ग्राहक को अधिकतम 5 लाख रुपए तक की निकासी की अनुमति मिलेगी।
- यह राशि बचत खाता, चालू खाता, फिक्स डिपॉजिट या किसी भी तरह के खाते में जमा रकम और ब्याज को मिलाकर होगी।
- यदि किसी ग्राहक की जमा राशि इससे अधिक है, तो वह केवल 5 लाख रुपए तक का ही दावा कर सकेगा।
क्यों जरूरी है ऐसा कदम?
आरबीआई ने ग्राहकों को नुकसान से बचाने के लिए बैंक का लाइसेंस रद्द किया है। अगर बैंक को काम करने दिया जाता, तो खाताधारकों के पैसे डूबने का खतरा था। इसलिए RBI ने बैंक को तुरंत बंद करने का आदेश दिया और बैंक के ग्राहकों के पैसे सही तरह से वापस करने के लिए एक अधिकारी (लिक्विडेटर) नियुक्त करने को कहा है। इस कदम से खाताधारकों का पैसा सुरक्षित रहेगा और बैंक सही तरीके से बंद होगा।