
क्या आप 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्र हैं तो आपके लिए बड़ी खबर है। हाल ही में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने इन कक्षा के छात्रों के लिए नया नोटिस जारी किया है जिससे इनकी बोर्ड परीक्षाओं पर असर पड़ सकता है। बता दें नोटिस में कहा गया है कि बोर्ड परीक्षाओं में बैठने के लिए 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों की अटेंडेंस 75% होनी अनिवार्य है। स्कूल में होने वाला आंतरिक मूल्यांकन समग्र मूल्यांकन का एक महत्वपूर्ण पार्ट है। अगर छात्र साल भर की शिक्षा गतिविधियों में शामिल नहीं होगा तो उसका आंतरिक मूल्यांकन भी नहीं होगा आएगा, और ऐसे में उसका बोर्ड रिजल्ट भी जारी नहीं होगा। बोर्ड ने इसके लिए नए नियम जारी किए हैं जो साल 2026 से लागू किए जाएंगे।
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क्यों लिया गया यह फैसला!
CBSE ने यह फैसला इस उद्देश्य से लिया है ताकि बोर्ड के सभी छात्र रोजाना स्कूल आए और शिक्षा से सम्बंधित गतिविधियों में शामिल रहें। इस नियम के तहत छात्र सालभर अपनी पढ़ाई पर अच्छे से ध्यान दे पाएंगे और अंतिम परीक्षा में शामिल होकर अपना बेहतर प्रदर्शन देंगे।
अब से आंतरिक मूल्यांकन का महत्व और भी बढ़ गया है। राष्ट्रिय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) के तहत सभी विषयों का आंतरिक मूल्यांकन किया जाएगा। यह दो साल की प्रक्रिया होती है जिसमें लिखित परीक्षा, प्रोजेक्ट वर्क और होमवर्क जैसे काम शामिल किए जाते हैं। अगर किसी छात्र का आंतरिक मूल्यांकन रिकॉर्ड सही नहीं होता है या फिर नहीं होता है तो उसका अंतिम परिणाम रोक दिया जाएगा। ऐसे में ये छात्र कंपार्टमेंट परीक्षा नहीं दे पाएंगे यानी की इन सभी छात्रों को “आवश्यक दोहराने की श्रेणी” (Essential Repeat Category) में रखा जाएगा। फिर इन छात्रों को बोर्ड की परीक्षा देने के लिए अगले साल का इन्तजार करना होगा।
नियम का असर किन छात्रों पर पड़ेगा
इस नियम का प्रभाव 10 वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों पर पड़ेगा। भले ही कंपार्टमेंट परीक्षा से बच्चे को एक बार मौका मिलता है लेकिन अगर 10 वीं कक्षा में बच्चा दो से अधिक विषयों और 12वीं में पांच में से एक से अधिक विषय में फेल हो जाता है तो वह कंपार्टमेंट परीक्षा नहीं दे पाएगा।
निरन्तर होगा मूल्यांकन
अब से निरन्त मूल्यांकन होना जरुरी है। छात्र के जो अंतिम अंक होते हैं वह साल भर की सभी परीक्षाओं के बेस्ड पर मिलते हैं। केवल अंतिम परीक्षा से ही अंतिम अंकों पर आधारित नहीं रहा जा सकता है। न्यूटाउन स्कूल की प्रिंसिपल शताब्दी भट्टाचार्य का कहना है कि जब बच्चा लगातार अच्छा प्रदर्शन करता है तो उसे अंतिम चरण में जीत हासिल होती है। जब बोर्ड परीक्षाओं से पहले छात्रों का निरंतर मूल्यांकन होता रहेगा तो वे लास्ट में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
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स्कूलों पर है अंतिम फैसला
भले ही CBSE ने दिशानिर्देश जारी किए हैं लेकिन इन नियमों को सही तरीके से लागू करने का काम स्कूलों का रहता है उन्हें ही इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाती है। बीएडीएम इंटरनेशनल की प्रिंसिपल मधुमिता सेनगुप्ता का कहना है कि जब तक कोई छात्र नियमित रूप से स्कूल नहीं आएगा तो वह आंतरिक मूल्यांकन में सही से प्रदर्शन नहीं कर सकता है। सीबीएसई द्वारा लिया गया यह निर्णय स्कूली शिक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में छात्र अपनी स्कूली शिक्षा और अन्य गतिविधियों में अच्छे से ध्यान देकर अपना बेहतर परिणाम बता सकेंगे।