
UPPCL Update: एक ओर देश में बिजली चोरी की समस्या को रोकने के लिए सरकार द्वारा स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहें हैं। यह मीटर ग्राहकों बिजली कंपनियों और ग्राहकों, दोनों के लिए फायदेमंद हैं। लेकिन वहीँ दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर बड़ा विवाद हो रहा है। बता दें हाल ही में पावर कॉर्पोरेशन ने नए निर्देश जारी किए हैं कि जिन क्षेत्रों में ये मीटर लग रहें हैं वहां पर नए कनेक्शन भी महंगे मीटरों के साथ ही उपलब्ध कराए जाएंगे।
इस बात पर नाराजगी दिखाते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत् उपभोक्ता परिषद इसका जमकर विरोध कर रहें हैं। वह इसे अंसवैधानिक बताते हुए कहते है कि ईद फैसले से बिजली ग्राहकों का खर्चा और बढ़ जाएगा।
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उपभोक्ता को चुकाने होंगे ज्यादा पैसे
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेय कुमार वर्मा का कहना है कि इसे फैसले से उपभोक्ताओं को परेशानी हो सकती है। लगता है यह फैसला बिजली कंपनियों को प्राइवेट करने के लिए किया जा रहा है। इसके साथ ही पावर कॉर्पोरेशन पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि इन्होने मीटरों की कीमत तय करने के लिए बिजली नियामक आयोग से मंजूरी नहीं ली है और अपने आप इसकी कीमतें निर्धारित कर दी है।
ओडिशा राज्य में जहाँ 1 किलोवाट का कनेक्शन 4,500 रूपए में मिलता है वहीँ पर उत्तर प्रदेश राज्य में यह 6,000 होने वाला है। यह बहुत अधिक महंगा है जिससे आम लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा।
अगर पुराने कॉस्ट डेटा को देखकर नई कीमत जारी होगी तो यहाँ पर 1 किलोवाट कनेक्शन की कीमत 1,032 से बढ़कर 6,166 रूपए हो जाएगी। वहीं 5 किलोवाट का कनेक्शन की लागत 7,057 से बढ़कर 15,470 रूपए होने वाली है।
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पुराने मीटरों पर उठ रहा सवाल
जहाँ के ओर उत्तर प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर चर्चा और विरोध किया जा रहा है, तो वही मध्यांचल विद्युत वितरण निगम 13 लाख पुराने मीटरो को खरीदने के लिए 100 करोड़ रूपए का खर्चा कर रहा है। इस बड़े फैसले पर उपभोक्ता परिषद् सवाल उठा रहा है और सरकार से इसकी जाँच करने की मांग की जा रही है। उपभोक्ता परिषद का कहना कि जहां पर सरकार नए मीटर लगाने की तैयारी कर रही है वहां पुराने मीटरों को खरीदने के लिए इतना पैसा क्यों बर्बाद किया जा रहा है। इसका कोई भी फायदा नहीं होता है और इसका जवाब मिलना चाहिए आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है।