
Property Rights for Daughters: बेटी की शादी होने के बाद पिता की संपत्ति पर हक़ होता है या नहीं, अक्सर कई लोगों के मन में ये सवाल जरूर आता है लेकिन उन्हें इसकी जानकारी पता नहीं होती है। हाल ही में इससे ही सम्बंधित फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है कि बेटियों का अपने पिता की संपत्ति पर कोई भी अधिकार नहीं होता है और यह खबर सोशल मीडिया पर आजकल खूब वायरल हो रही है।
लोग इस खबर पर खूब प्रतिक्रिया दे रहे हे और सवाल कर रहे है। आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिर ये फैसला क्यों सुनाया है और इस बात में कितनी सच्चाई है। इस फैसले से क्या बेटियों का अधिकार छीना जा रहा है।
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क्या है मामला और सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
सुप्रीम कोर्ट ने उस बेटी को सुनाया है जिसने अपनी पिता से सभी क़ानूनी, सामाजिक और भावनात्मक संबंध खत्म कर दिए हैं। यह बात बेटी ने अदालत में स्वीकार की है जिस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि बेटी ने जब सब रिश्ते नाते तोड़ दिए हैं तो अब पिता की सम्पत्ति पर उसका कोई भी अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि पिता ने बेटी को पढ़ाने-लिखाने और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी पूरी कर दी है। अब बेटी ने पिता के साथ रिश्ता तोड़ दिया है तो अब वह संपत्ति के लिए कोई भी दावा नहीं कर पाएगी। सुप्रीम कोर्ट कहते हैं यह फैसला सभी बेटियों के लिए नहीं है बल्कि ऐसे मामले में कानून के अनुसार लिया गया है।
पिता की संपत्ति पर बेटियों का अधिकार
अब यह जानते हैं कि पिता की सम्पत्ति पर बेटी का कितना हक होता है। बता दें सामान्य मामलों की बात करें तो पैतृक संपत्ति पर बेटियों का पूरा हक रहता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में वर्ष 2005 में अहम बदलाव किया गया था। यह बदलाव बेटियों के अधिकार के लिए किया गया कि जितना बेटों को पैतृक संपत्ति का हिस्सा मिलता है उतना ही बेटियों को भी दिया जाएगा।
पिता और बेटी का रिश्ता बरकरार रहता है तो संपत्ति पर भाइयों जितना ही अधिकार बहनों का रहेगा। अदालत किसी कारण के बिना यह हक नहीं छीन सकती है।
स्व-अर्जित संपति का नियम क्या है?
पिता द्वारा कमाई गई सम्पति को स्व अर्जित संपत्ति कहा जाता है और इसके लिए अलग नियम बने हुए हैं। अगर पिता ने कोई भी वसीयत नहीं बनाई है तो संपत्ति पर बेटी का अधिकार भी रहता है। लेकिन यदि पिता ने अपनी वसीयत में संपत्ति किसी और के नाम कर दी है तो इसे मान्य समझा जाएगा। अगर पिता ने वसीयत नहीं बनाई है तो कानून के हिसाब से जितना हक बेटों को मिलता है उतना ही संपत्ति पर बेटियों का भी रहता है।