
मध्य प्रदेश के उज्जैन से चौकाने वाली खबर सामने आई है, दरअसल उज्जैन में चौथी कक्षा की छात्रा को पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने हाल ही में पुलिस में बाल आरक्षक पद पर नियुक्ति का पत्र सौंपा है। हालाँकि वर्दी के लिए बालिका को अभी 10 साल का इन्तजार करना होगा। इस नियुक्ति पत्र में बालिका की सैलरी और कार्य का दायित्व भी दिया गया है। ऐसे में यह सवाल उठता है की आखिर चौथी कक्षा की एक बच्ची को पुलिस में नौकरी कैसे मिल सकती है।
तो बता दें थाना महाकाल में पदस्थ प्रधान आरक्षक क्रमांक 988 देवेंद्र सिंह रघुवंशी जो इस बच्ची के पिता थे की 17 मई, 2025 को हार्ट अटैक के कारण मृत्यु हो गई। जिसपर उनके परिवार एसपी प्रदीप शर्मा से मिलने पहुंचा और उन्होंने देवेंद्र सिंह रघुवंशी की 8 वर्षीया बेटी इच्छा रघुवंशी को बाल आरक्षक बनाने के लिए आवेदन किया। जिसपर एसपी ने उनकी मांग को केवल 25 मिनट में स्वीकार करते हुए बच्ची को नौकरी का ज्वाइनिंग लेटर दे दिया।
क्यों और कैसे बनते हैं बाल आरक्षक
एक बाल आरक्षक पुलिसकर्मी की असमय मृत्यु पर उनके परिवार के जीवनयापन और भरण पोषण के लिए नाबालिक बच्चों को बनाया जाता है, जिससे परिवार की आर्थिक सहायता की जा सके। यह बच्चे 18 वर्ष की आयु तक पढ़ाई के साथ-साथ विभाग के छोटे-मोटे कार्य करते हैं साथ ही पुलिस विभाग की प्रक्रिया को समझते हैं। वहीं इच्छा रघुवंशी के मामले में वह देवेंद्र सिंह रघुवंशी की एकमात्र संतान हैं जिसे ध्यान रखते हुए उन्हें यह नियुक्ति दी गई है।
नियुक्ति पर मिलेगा इतना वेतन
उज्जैन की इच्छा रघुवंशी अभी चौथी कक्षा में हैं और उसका नाम पुलिस कर्मचारी लिस्ट में दर्ज कर दिया गया है। पुलिस नियमों के अनुसार जब वह 10वीं कक्षा उत्तीर्ण कर लेगी या जब 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेगी तब वह स्थायी रूप से आरक्षक बन सकेगी। वहीं इच्छा को मिलने वाले वेतन की जानकारी देते हुए अधीकारी ने बताया की बाल आरक्षक को नव आरक्षक से आधा वेतन मिलता है, जिसके तहत उसे हर महीने 15113 रूपये वेतन दिया जाएगा।